कुप्पल्लि वेङ्कटप्प पुट्टप्पा
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कुवेंपु वा कुप्पल्लि वेङ्कटप्प पुट्टप्पा (कन्नड भासय् ಕುವೆಂಪು वा ಕುಪ್ಪಳ್ಳಿ ವೆಂಕಟಪ್ಪ ಪುಟ್ಟಪ್ಪ) (दिसेम्बर २९, सन् १९०४ - नोभेम्बर ११, सन् १९९४) - कन्नड भासय् च्वखँ च्वयादिम्ह छम्ह नांजाम्ह साहित्यकार ख। वय्कःयात कर्नाटक राज्यय् राष्ट्रकवि नं धाइगु या। वय्कः ज्ञानपीठ सिरपा त्यानादिम्ह दकलय् न्हापांम्ह कन्नड साहित्यकार ख। वय्कलं 'विश्व मानव' परिकल्पनाया साहित्यमूलक समाजिक चेतना दयेकादिल। कन्नड साहित्यय् वय्कःया यक्व योगदान दु।
साहित्यिक नां: | कुवेंपु |
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बूं दिं: | दिसेम्बर २९, सन् १९०४ कुप्पल्लि, तीर्थहल्लि तालुका, शिवमोग्ग जिल्ला |
सी दिं: | नोभेम्बर ११, सन् १९९४ मैसूरु |
ज्या: | चिनाखँमि, च्वमि, प्राध्यापक, प्रधानाध्यापक, कुलपति |
राष्ट्रियता: | भारतीय |
च्वगु ई: | आधुनिक कन्नड |
साहित्यिक विधा: | बाखँ, चिनाखँ, कादंबरि, दबू प्याखँ, विमर्श, आत्म चरित्र, जीवन चरित्र, महाकाव्य, वैचारिक साहित्य |
विषय: | कर्नाटक, रामायण, जीवन, शिवमोग्ग |
साहित्यिक ज्याखं: | बंडाय, नवोदय |
प्रेरणा: | कार्ल मार्क्स, कुमारव्यास, वर्ड्स्वर्थ,रामकृष्ण परमहंस |
सही: | किपा:128px-Kuvempu sign.jpg |
वेबथाय्: | http://www.kuvempu.com/ |
कृति
सम्पादनकाव्य
- अमलन कथॆ (मचा साहित्य) (१९२४)
- बॊम्मनहळ्ळिय किंदरिजोगि (मचा साहित्य) (१९२६)
- हाळूरु (१९२६)
- कॊळलु (१९३०)
- पांचजन्य (१९३३)
- कलासुंदरि (१९३४)
- नविलु (१९३४)
- चित्रांगदा (१९३६) (खण्डकाव्य)
- कथन कवनगळु (१९३६)
- कोगिलॆ मत्तु सोवियट् रष्या (१९४४)
- कृत्तिकॆ (१९४६)
- अग्निहंस (१९४६)
- पक्षिकाशि (१९४६)
- किंकिणि (१९४६)
- प्रेमकाश्मीर (१९४६)
- षोडशि (१९४७)
- नन्न मनॆ (१९४७)
- जेनागुव (१९५२)
- चंद्रमंचकॆ बा, चकोरि! (१९५४)
- इक्षु गंगोत्रि (१९५७)
- अनिकेतन (१९६३)
- अनुत्तरा (१९६३)
- मंत्राक्षतॆ (१९६६)
- कदरडकॆ (१९६७)
- प्रेतक्यू (१९६७)
- कुटीचक (१९६७)
- हॊन्न हॊत्तारॆ (१९७६)
- समुद्रलंघन (१९८१)
- कॊनॆय तॆनॆ मत्तु विश्वमानव गीतॆ (१९८१)
- मरिविज्ञानि (१९४७) (मचा साहित्य)
- मेघपुर (१९४७) (मचा साहित्य)
श्री रामायण दर्शनम् (१९४९) (महाकाव्य)
अंग्रेजी च्वसु मुना
- बिगिनर्'स् म्यूस् (१९२२)
- अलियन् हार्प् (१९७३)
दबू प्याखं
- मोडण्णन तम्म (१९२६)
- जलगार (१९२८)
- यमन सोलु (१९२८)
- नन्न गोपाल (१९३०)
- बिरुगाळि (१९३०)
- स्मशान कुरुक्षेत्र (१९३१)
- महारात्रि (१९३१)
- वाल्मीकिय भाग्य (१९३१)
- रक्ताक्षि (१९३२)
- शूद्र तपस्वि (१९४४)
- बॆरळ्गॆ कॊरळ् (१९४७)
- बलिदान (१९४८)
- चंद्रहास (१९६३)
- कानीन (१९७४)
कादंबरि
- कानूरु सुब्बम्म हॆग्गडति (१९३६)
- मलॆगळल्लि मदुमगळु (१९६७)
बाखंमुना:
- संन्यासि मत्तु इतर कथॆगळु (१९३६)
- नन्न देवरु मत्तु इतरॆ कथॆगळु (१९४०)
ललित च्वखं
- मलॆनाडिन चित्रगळु (१९३३)
गद्य/विचार/विमर्श/च्वसु:
- आत्मश्रीगागि निरंकुशमतिगळागि (१९४४)
- साहित्य प्रचार (१९४४)
- काव्य विहार (१९४७)
- तपोनंदन (१९५०)
- विभूति पूजॆ (१९५३)
- द्रौपदिय श्रीमुडि १९६०)
- रसोवैसः (१९६२)
- षष्ठि नमन (१९६४)
- इत्यादि (१९७०)
- मनुजमत-विश्वपथ (१९७१)
- विचार क्रांतिगॆ आह्वान (१९७४)
- जनताप्रज्ञॆ मत्तु वैचारिक जागृति (१९७८)
भाषण
- श्री कुवॆंपु भाषणगळु भाग १ (१९६६)
- श्री कुवॆंपु भाषणगळु भाग २ (१९७६)
आत्मचरित्र
जीवनी
- श्री रामकृष्ण परमहंस (१९३४)
- स्वामि विवेकानंद (१९३४)
रामकृष्ण-विवेकानंद साहित्य
- विवेकवाणि (१९३३)
- गुरुविनॊडनॆ देवरडिगॆ (१९५४)
वेदांत साहित्य
- ऋषिवाणि (१९३४)
- वेदांत (१९३४)
- मंत्र मांगल्य (१९६६)
मेमेगु
- जनप्रिय वाल्मीकि रामायण (१९५०)
- प्रसारांग (१९५९)
सिरपा
सम्पादन- केंद्र साहित्य अकाडॆमि सिरपा- (श्रीरामायण दर्शनं) (१९५५)
- पद्मभूषण (१९५८)
- मैसूरु विश्वविद्यालयया सम्माननीय "डि.लिट्." पदवी
- कर्नाटकया 'राष्ट्रकवि' सिरपा (१९६४)
- कर्नाटक विश्वविद्यालय गौरव डि.लिट्. (१९६६)
- ज्ञानपीठ सिरपा (श्री रामायण दर्शनं) (१९६८)
- बंगलूर विश्वविद्यालयया सम्माननीय "डि.लिट्." (१९६९)
- पद्मविभूषण (१९८९)
- कर्नाटक रत्न (१९९२)
- पंप प्रशस्ति(१९८८)