पौराणिक वंशावली

थ्व वंशावली कृत युग निसें द्वापरयागु अन्त तक्क यागु खः । क्वेयागु धलः मनु (प्रथम मानव) निसें भगवान कृष्ण यागु पुस्ता तक्कया खः । पुराणयागु पूवंगु वंशावली नन्द वंश तक्क जक दु ।[]

थन छु खने दु धा:सा राम यागु पुस्ता ६५ खः धासा कृष्णयागु ९४ खः । थुकिं इमिगु दथुइया ई यात अनुमान याये छिं । भारतया प्राचीन सप्तर्षि पंचांग कथं थ्व कालक्रम ६६७६ ई पू निसे न्ह्यथनी ।[]

व ईया यक्वं आर्य जुजुतयेगु बारे थ्व वंशावलिस यक्व खं न्ह्यथनातःगु दु ।

यादवकुल

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1 मनु | इला | पुरुरवस् | आयु | नहुष | ययाति | यदु | क्रोष्टु |

11 वृजिनिवन्त् | स्वाहि | रुशद्गु | चित्ररथ | शशबिन्दु |

21 पृथुश्रवस् | अन्तर | सुयज्ञ | उशनस् | शिनेयु | मरुत्त |

32 कम्बलबर्हिस् | रुक्मकवच | परावृत् | ज्यामघ | विदर्भ |

41 क्रथभीम | कुन्ति | धृष्ट | निर्वृति | विदूरथ | दशार्ह | व्योमन् | जीमूत | विकृति | भीमरथ |

51 रथवर | दशरथ | एकादशरथ | शकुनि | करम्भ | देवरात | देवक्षत्र | देवन |

61 मधु | पुरुवश | पुरुद्वन्त | जन्तु | सत्वन्त् | भीम | अन्धक | कुकुर | वृष्णि | कपोतरोमन |

80 विलोमन् | नल | अभिजित् | पुनर्वसु | उग्रसेन | कंस | 94 कृष्ण | साम्ब

पौरवकुल

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1 मनु | इला | पुरुरवस् | आयु | नहुष | ययाति | पूरु | जनमेजय | प्राचीन्वन्त् | प्रवीर |

11 मनस्यु | अभयद | सुधन्वन् | बहुगव | संयति | अहंयाति | रौद्राश्व | ऋचेयु | मतिनार | तंसु |

43 दुष्यन्त | भरत | भरद्वाज | वितथ | भुवमन्यु | बृहत्क्षत्र | सुहोत्र | हस्तिन् |

53 अजमीढ | नील | सुशान्ति | पुरुजानु | ऋक्ष | भृम्यश्व | मुद्गल |

61 ब्रह्मिष्ठ | वध्र्यश्व | दिवोदास | मित्रयु | मैत्रेय | सृञ्जय | च्यवन | सुदास | संवरण | सोमक |

71 कुरु | परीक्षित १ | जनमेजय | भीमसेन | विदूरथ | सार्वभौम | जयत्सेन | अराधिन | महाभौम |

81 अयुतायुस् | अक्रोधन | देवातिथि | ऋक्ष २ | भीमसेन | दिलीप | प्रतीप | शन्तनु | भीष्म | विचित्रवीर्य | धृतराष्ट्र |

94 पाण्डव | अभिमन्यु | परीक्षित |जनमेजय

अयोध्याकुल

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मनु | इक्ष्वाकु | विकुक्षि-शशाद | कुकुत्स्थ | अनेनस् | पृथु | विष्टराश्व | आर्द्र | युवनाश्व | श्रावस्त |

११ बृहदश्व | कुवलाश्व | दृढाश्व | प्रमोद | हरयश्व | निकुम्भ | संहताश्व | अकृशाश्व | प्रसेनजित् | युवनाश्व २ |

२१ मान्धातृ | पुरुकुत्स | त्रसदस्यु | सम्भूत | अनरण्य | त्रसदश्व | हरयाश्व २ | वसुमत | त्रिधनवन् | त्रय्यारुण |

३१ सत्यव्रत | हरिश्चन्द्र | रोहित | हरित | विजय | रुरुक | वृक | बाहु |

४१ सगर | असमञ्जस् | अंशुमन्त् | दिलीप १ | भगीरथ | श्रुत | नाभाग | अम्बरीश | सिन्धुद्वीप | अयुतायुस् |

५१ ऋतुपर्ण | सर्वकाम | सुदास | मित्रसह | अश्मक | मूलक | शतरथ | ऐडविड | विश्वसह १ | दिलीप २ |

६१दीर्घबाहु | रघु | अज | दशरथ |

६५ राम | कुश | अतिथि | निषध | नल |

७१ नभस् | पुण्डरीक | क्षेमधन्वन् | देवानीक | अहीनगु | पारिपात्र | बल | उक्थ | वज्रनाभ | शङ्खन् |

८१ व्युषिताश्व | विश्वसह २ | हिरण्याभ | पुष्य | ध्रुवसन्धि | सुदर्शन | अग्निवर्ण | शीघ्र | मरु | प्रसुश्रुत |

९१ सुसन्धि | अमर्ष | विश्रुतवन्त् |

९४ बृहद्बल | बृहत्क्षय

मेमेगु जुजु

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२५ दिवोदास (काशी) | दुर्दम (हैहय) |

२९ केकय (आनव) | गाधी (कान्यकुब्ज) | अर्जुन (हैहय) | विश्वामित्र (कान्यकुब्ज) | तालजङ्घ (हैहय) | प्रचेतस् (द्रुह्यु) | सुचेतस् (द्रुह्यु) | सुदेव (काशी) |

४० दिवोदास २ (काशी) | बलि (आनव)

कलियुग

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महाभारत निसें लिपायु कालयागु लागि स्वया दिसं

  1. सुभाष काक, दि एस्ट्रोनोमिकल कोड आफ दि ऋग्वेद (ऋग्वेदयु कूट-ज्योतिष), मुंशीराम मनोहारलाल, न्हु दिल्ली, २०००।
  2. सुभाष काक, दि एस्ट्रोनोमिकल कोड आफ दि ऋग्वेद (ऋग्वेदयु कूट-ज्योतिष), मुंशीराम मनोहारलाल, न्हु दिल्ली, २०००।